क्या है,MSP 2020-21, इसे कब लागू किया गया था? एमएसपी का अर्थ,क्या है वर्तमान MSP rate ,सब कुछ पढ़े,
केंद्र सरकार ने छह फसलों पर 21 सितंबर 2020 को MSP बढ़ा दिया है, आज हम जानेंगे कि क्या है एमएसपी 20-21 और इसे कब लागू किया गया था तथा किन-किन फसलों में एमएसपी रेट कितनी कर दी गई है,
MSP rate क्या है?
अब सवाल यह उठता है कि एमएसपी क्या है तो MSP का फूल फार्म Minimum Support Price (न्यूनतम समर्थन मूल्य)
होता है , MSP वह गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है।चाहे उस वक्त बाजार में उस फसल की कीमतें कम ही क्यों न हों।
यह व्यवस्था इसलिए कि ताकि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे। एनएसएसओ की साल 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार देश के 10 फीसदी से भी कम किसान अपने उत्पाद एमएसपी पर बेचते हैं।
MSP कब लागू हुआ?
आज़ादी के बाद पहली बार 60 के दशक की शुरुआत में देश को गंभीर अनाज संकट का सामना करना पड़ा। इस दौरान कृषि क्षेत्र के लिए नीतियां बनाई गईं और अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति की शुरुआत की गई। इसके बाद अनाज खरीदने के लिए सरकार ने 1964 में खाद्य निगम क़ानून के तहत भारतीय खाद्य निगम बनाया।
इसके एक साल बाद एग्रीकल्चर प्राइसेस कमीशन बनाया ताकि उचित क़ीमत पर (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों से अनाज ख़रीदा जा सके, ईसी अनाज को बाद में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, पीडीएस) के तहत सरकार ज़रूरतमंदों को देती है और खाद्य सुरक्षा के लिए अनाज का भंडारण भी करती है।
केंद्र सरकार खेती-किसानी के क्षेत्र में सुधार के लिए तीन विधेयक लाई है। कई राज्यों के किसान और विपक्ष इन विधेयकों के खिलाफ है। उसे चिंता है कि कहीं MSP की व्यवस्था बंद नहीं हो जाए। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर साफ कर चुके हैं कि MSP खत्म नहीं होगा।
किन-किन फसलों में बढ़ाई गई है एमएसपी 2020-21 :
गेहूं पहले MSP 1925 रु/प्रति क्विंटल था, जिसमें 50 रुपए बढ़ाकर अब 1975 रु/प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसमें सबसे ज्यादा MSP मसूर का बढ़ाया गया है, 300 रुपए।
आइए जानते हैं कि ताजा एमएसपी (रुपए प्रति क्विंटल) क्या है, पिछले वर्ष और वर्तमान में किन-किन फसलों में क्या-क्या एमएसपी रखी गई थी तथा उनमें पिछले वर्ष से क्या अंतर आए हैं,
फसल पहले अब अंतर
गेहूं 1925 1975 50
जौ 1525 1600 75
सरसों 4425 4650 225
चना 4875 5100 225
कुसुम 5215 5327 112
मसूर 4800 5100 300
शांता कुमार समिति रिपोर्ट क्या है?
शांता कुमार समिति की अध्यक्षता में वर्ष 2014 में छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, इस समिति को यह सुझाव देना था कि किस प्रकार भारतीय खाद्य निगम के वित्तीय प्रबंधन तथा अनाज के क्रय, भण्डारण और वितरण में संचालनात्मक कौशल कैसे लाया जाए।
शांता कुमार की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को इन-काइंड यानी अनाज की ख़रीद की व्यवस्था ख़त्म करनी चाहिए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की बजाय कैश ट्रांसफर पर ध्यान देना चाहिए। इस बिल से जुड़ी व्यापक तस्वीर या कहें लार्जर नैरेटिव यही है। इन बिल को उस प्रक्रिया को शुरू करने की कवायद की तरह देखा जा रहा है और ये चिंता का विषय है।
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