क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम बिल ? हरसिमरत कौर बादल ने दिया अपने पद से इस्तीफा,किसे बनाया गया नया खाद्य मंत्री? पढ़े पूरा विस्लेषण,

15 सितंबर को लोकसभा में एक बिल  आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Bill 2020) पारित किया गया जिसमें अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज-आलू (cereals, pulses, oilseeds, edible oils, onion potatoes) को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने संबंधी बाते शामिल है । इसके साथ ही साथ लोकसभा ने ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ (Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill) 2020 को पास किया गया । आयीय जाने इनमें मौजूद प्रावधानों को,

क्या है,आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Bill 2020)?

 कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से लोकसभा ने यह बिल पास कर दिया। इस बिल में खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दालें और प्याज को नियंत्रण मुक्त करने का प्रावधान है।हालांकि, विपक्षी दल ने केंद्र सरकार से विधेयक और अध्यादेश वापस लेने की मांग की। इस विधेयक के जरिए ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955’ में बदलाव किया जा रहा है।


क्या है, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 ? :


पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था। इसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। तब से सरकार इस कानून की मदद से आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को मुनासिब दाम पर उपलब्ध हों।

सरकार अगर किसी चीज को आवश्यक वस्तु घोषित कर देती है तो सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड प्रॉडक्ट का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे। उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है। अभी तक इसके दायरे में अनाज, दलहन और तिलहनी फसल आ रहे हैं।


नया कानून बनने पर कीमतें बाजार में तय होगी


सरकार का तर्क है कि पुराने कानून की वजह से किसानों को अपना उत्पाद MSP दर पर बेचने को मजबूर होना पड़ता था। किसी वस्तु की असली कीमत तो बाजार में तय होती है। ऐसा होता है किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति पर। जब किसानों को पता चलेगा कि अमुक फसल की मांग ज्यादा है तो उसी को उगाएंगे।


क्या है, ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ ?


किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ जिसे Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020 कहा जाता है को पास किया गया जिसमें किसान मंडी से बाहर फ़सल बेच सकेंगे, राज्यों को मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने पर रोक होगी और साथ है साथ राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कृषि व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

यह विधेयक राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीदी पर लगने वाले कर से रोकता है और किसानों को उनके लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने की स्वतंत्रता भी देता है।

 इस पर सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी, जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे। सरकार का कहना है कि इससे किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है, इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है।


संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा विधेयक’ (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill)


केंद्र सरकार ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा विधेयक’ पास किया। इस विधेयक में कृषि क़रारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने की बट कहीं। यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है।


सरकार का पक्ष है कि इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों पर नहीं रहेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।


किसान क्‍यों कर रहे हैं विरोध

किसान संगठनों का आरोप है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा। किसानों को आशंका है कि एमएसपी खत्‍म कर दिया जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि यह खत्‍म नहीं किया जाएगा।

यह अध्यादेश कहता है कि बड़े कारोबारी सीधे किसानों से उपज खरीद कर सकेंगे, लेकिन ये यह नहीं बताता कि जिन किसानों के पास मोल-भाव करने की क्षमता नहीं है, वे इसका लाभ कैसे उठाऐंगे? सरकार एक राष्ट्र, एक मार्केट बनाने की बात कर रही है, लेकिन उसे ये नहीं पता कि जो किसान अपने जिले में अपनी फसल नहीं बेच पाता है, वह राज्य या दूसरे जिले में कैसे बेच पायेगा। क्या किसानों के पास इतने साधन हैं और दूर मंडियों में ले जाने में खर्च भी तो आयेगा। देश का प्रसिद्ध निर्यात - देश के प्रसिद्ध निर्यात नीति विशेषज्ञ और कृषि मामलों के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं, "सरकार जो सुधार कह रही है वह पहले से ही कई देशों में लागू है अर्थशास्त्री का कहना है कि 1960 के दशक से किसानों की आय में गिरावट आई है।


 इन वर्षों में यहां पर अगर खेती बची है तो उसकी वजह बड़े पैमाने पर सब्सिडी के माध्यम से दी गई आर्थिक सहायता है।” बिहार में 2006 से एपीएमसी -कृषि उपज विपणन समितियों (मंडी में खरीद व्‍यवस्‍था) नहीं है और इसके कारण होता ये है कि व्यापारी बिहार से सस्ते दाम पर खाद्यान्न खरीदते हैं और उसी चीज को पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर बेच देते हैं। क्योंकि यहां पर एपीएमसी मंडियों का जाल बिछा हुआ है।


यदि सरकार इतना ही किसानों के हित को सोचती है तो उसे एक और अध्यादेश लाना चाहिए जो किसानों को एमएसपी का कानूनी अधिकार दे दे, जो ये सुनिश्चित करेगा कि एमएसपी के नीचे किसी से खरीद नहीं होगी। इससे किसानों का हौसला बुलंद होगा। किसानों को यह डर है कि एफ़सीआई अब राज्य की मंडियों से ख़रीद नहीं कर पाएगा, जिससे एजेंटों और आढ़तियों को क़रीब 2.5% के कमीशन का घाटा होगा. साथ ही राज्य भी अपना छह प्रतिशत कमीशन खो देगा, जो वो एजेंसी की ख़रीद पर लगाता आया है.


हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्‍तीफा  दिया , किसे बनाया गया नया खाद्य मंत्री :


कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में किसान सड़कों पर हैं। देश भर के कई राज्‍यों में इस बिल का विरोध चल रहा है। इसे देखते हुए हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया ।


एनडीए सरकार में भागीदार शिरोमणी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने सरकार की विरोध में केंद्रीय मंत्र‍िमंडल से इस्‍तीफा दे दिया। मोदी सरकार के farm sector bills के विरोध में हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 17 सितंबर को शिरोमणि अकाली दल से कृषि बिलों के मसले पर बातचीत चलने की पुष्टि की थी। लेकिन कृषि बिलों को किसान विरोधी बताते हुए हरसिमरत कौर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।

शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्‍तीफा देने के बाद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्‍त कार्यभार नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपा गया है ।


यदि पोस्ट अच्छी लगे तो दोस्तो के साथ शेयर करना ना भूले।


इसीलिए तरह के अपडेट पाने नीचे दिए subscribe बटन को प्रेस करे।

👇👇👇👇👇👇👇

join now on telegram

👆👆👆👆👆👆👆

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम बिल ? हरसिमरत कौर बादल ने दिया अपने पद से इस्तीफा,किसे बनाया गया नया खाद्य मंत्री? पढ़े पूरा विस्लेषण, क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम बिल ? हरसिमरत कौर बादल ने दिया अपने पद से इस्तीफा,किसे बनाया गया नया खाद्य मंत्री? पढ़े पूरा विस्लेषण, Reviewed by Devendra Soni on सितंबर 29, 2020 Rating: 5

2 टिप्‍पणियां:

Copyright: GkgyanDev. merrymoonmary के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.