Independence day of India, History of independence of India. स्वतंत्रता प्राप्ति के पीछे का इतिहास जाने
The day of India's independence, which many people sacrificed their lives for.
15 अगस्त का वह आजादी का दिन जिसे लाने के लिए भारत के कई ऐसे वीर सपूतों ने हस्ते हुए अपने जान की आहुति दी, धरती माता के इस पावन धरा पर उन्होंने अपने लहू से अपने वीरता की गाथा लिख दी
भारत की पवित्र भूमि को स्वतंत्र कराने 1857 में ही मंगल पांडे के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई शुरू हो चुकी थी किंतु कई ऐसे कारण रहे जिसकी वजह से हमारा प्यारा भारत देश आजाद नहीं हो पाया आइए जाने भारत की स्वतंत्रता की कहानी इस छोटे से ब्लॉग में,
भारत में अंग्रेज 17-18 वीं शताब्दी में ही आने लग गए थे।वैसे तो वे वाणिज्य करने आए थे परंतु उनके इरादे कुछ और ही थे वाणीज्य के नाम पर यहां के संपत्तियों को हड़पना उनका प्रथम लक्ष्य था सम्राटों के भीतरी समस्याओं के कारण भारत में अपना अधिकार बना बैठे, प्लासी और बक्सर जीत हासिल करने के बाद भारत पर उनका शासन स्थापित हो गया
शुरू हो गया ईस्ट इंडिया कंपनी का कारोबार :
अंग्रेज भारत के लोग का सर्वनाश कर के फल फूल रहे थे अत्याचार अनाचार बढ़ता ही गया अगर किसी जमीन का उत्तराधिकारी नहीं होता तो वह जमीन उन्हीं का हो जाता था कभी कबार छोटा-मोटा विरोध होता था तो तीन-चार लोग के बीच ही सीमित रहता था सिपाहियों के लिए वह एक नया कारतूस लाए थे जो गाय और सुअर की चर्बी से बनता था और उसको दांत से काटकर बंदूक में भरना पड़ता था इस कारण से सिपाहियों के धर्म को आघात पहुंचा ईसाई धर्म फैलाना उनका लक्ष्य था।
एक सिपाही मंगल पांडे जिन्होंने सन 1857 की क्रांति को एक नए रूप ही दे दिया मंगल पांडे के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई छिड़ गई एक छोटे से कारतूस से शुरू हुई लड़ाई भारत की आजादी तक पहुंच गई
शुरू हुआ सिपाही विद्रोह।
मंगल पांडे नाकामयाब रहे और उन्हें फांसी दे दी गई।परंतु उनके द्वारा भड़काऊ गई यह विद्रोह स्वतंत्रता तक पहुंच गया
भारतीय नेशनल कांग्रेस की स्थापना:
सन 1885 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की गई जो भारतीय स्वतंत्रता की ओर एक कदम था
उन दिनों बंगाल पर राष्ट्रवाद की भावना तेजी से बढ़ रही थी । वंदे मातरम की धुन में शिक्षित बंगाल युवाओं ने अंग्रेज के खिलाफ आवाज उठाने लगे हुए थे
बंगाल में राष्ट्रीय विरोध को देखते हुए लॉर्ड कर्जन ने बंगालि भाषियों को अलग करने का निर्णय लिया बड़ी चालाकी से सन 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंगाल अधिवेशन कर बंगाल का विभाजन कर दिया
शुरू हुआ बंग भंग आंदोलन :
खुदीरामबोस, बिनॉय बादल , दिनेश जैसे युवा, ब्रिटिश कांग्रेस के खिलाफ हथियार उठाकर देश के लिए हंसते-हंसते अपना प्राण त्यागे। फल स्वरुप अंग्रेजो ने 1911 में भारत की राजधानी कोलकाता से हटा कर दिल्ली कर दिया।
1914 में प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ जहां भारत के सिपाही को बर्बाद किया सन् 1915 में विदेश से आए मोहनदास करमचंद गांधी जिन्होंने भारत स्वतंत्रता का नेतृत्व किया
जलियांवाला हत्याकांड:
सन 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग स्थान पर 13 अप्रैल जिस दिन वैशाखी का पर्व बनाया जाता है उसी स्थान में जनरल ओ डायर ने गोलियां चलवा दी जिसमें कई बेगुनाह मारे गए उस स्थान के सारे गेट बंद करके 10 मिनट तक उन पर गोलियां चलाई गई हजारों मासूम जनता घायल हुइ और कई 1000 मारे गए।
जनरल डायर द्वारा की गई इस क्रूरता पर पूरा देश स्तब्ध हो गया
इस घटना पश्चात भारतीयों को आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन सन 1920 में छेड दिया जो कि सन 1922 में चोरा चोरी कांड के बाद खत्म हुई गुस्साई जनता ने चोरा चोरी पुलिस स्टेशन में आग लगा दिया जिससे वहां करीब 23 सिपाही जलकर खाक हो गए अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन को मजबूरन स्थगित कर दिया गया। अहिंसा को अपना हथियार बताते हुए आजादी पाने का लक्ष्य रखा। परंतु तब तक भारत की आजादी को लेकर पूरे भारतवर्ष में आक्रोश छा गया था।
भारत के प्रतिघात की बारी आ गई थी सन 1925 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने काकोरी नाम के एक जगह पर ट्रेनों मे अंग्रेजों से पैसा लूटा जिसको हम काकोरी ट्रेन कॉस्पीरनसी के नाम से भी जानते हैं। संगठन को हथियार की जरूरत होती है जिसके लिए पैसों की जरूरत होती थी इसीलिए उन्होंने काकोरी ट्रेन कांड को अंजाम दिया जिसमें उन्होंने किसी भी भारतीय से कोई भी पैसे नहीं लुटे केवल अंग्रेजों को ही लूटा गया
साइमन गो बैक के नारे लगे :
1927 को भारत के संविधान ही सुझाव के लिए ब्रिटिश सरकार ने जॉन साइमन के नेतृत्व में एक दल भेजा जिसमें कोई भी भारतीय नहीं था काला झंडे के साथ स्वागत किया गया
लाला लाजपत राय के नेतृत्व में साइमन गो बैक के नारे लगाए गए
लाला लाजपत राय बहुत युवाओं के प्रेरणा थे पुलिस के लाठी चार्ज करने के दौरान उनका देहांत हो गया उनका बदला लेने के लिए युवा भगत सिंह राजगुरु निकल पड़े। सरदार भगत सिंह अंग्रेजों के लिए बहुत बड़ा परेशानी बने हुए थे
उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय संसद में बम गिराया
जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया उनकी आत्मसमर्पण के बाद 1923 में उन्हें फांसी दी गई
पूर्ण स्वराज की घोषणा :
सन 1929 में कांग्रेस द्वारा भारत में पूर्ण स्वराज की घोषणा कर दी गई दिसंबर 1929 तिरंगा फहराया गया तथा जनवरी 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया
परंतु ब्रिटिश सरकार द्वारा इसे अमान्य करार दिया गया
सरकार ने इसे नहीं माना
महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की और अगला कदम बढ़ाते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन को हरी झंडी दी गई जिसका शुरुआत गांधी जी ने दांडी यात्रा द्वारा की असहयोग आंदोलन का यह रूप सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ले लिया था।
एक हड़ताल पूरे देश को रोकने लगा सभी स्कूल कॉलेज ऑफिस का बहिष्कार करने लगे
विदेशी चीजों को जला दिया गया टैक्स को भरना बंद कर दिया गया जिसके पश्चात दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गांधी जी को शामिल किया गया लंदन से आने बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन को जारी रखने का निर्णय लिया।
ब्रिटिश सरकार कांग्रेस को अवैध घोषित किया । 4 जनवरी 1932 को गांधीजी को बीना मुकदमे के गिरफ्तार कर लिया गया वहां पर गांधी जी ने विरोध में, आमरण अनशन किया जो एक संधि के पश्चात खत्म हुआ गांधी जी को बरि दे दी गई।
गांधी जी जेल से बाहर आए और शुरू हुआ सत्याग्रह आंदोलन। सन 1935 को पास हुआ था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट जिसके चलते इलेक्शन स्टार्ट हुआ ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आगमन पश्चात स्वतंत्रता की लड़ाई भयानक रूप ले ली । बोस जी समझ गए थे कि आजादी के लिए लड़ना पड़ेगा खून बहाना पड़ेगा।
1938 मे वे कांग्रेस के सभापति बने जो गांधीजी के इच्छा के विरुद्ध था 1939 में भी कांग्रेस के सभापति निर्वाचित होने के बावजूद वह इस्तीफा दे दिए
और प्रसिद्ध फॉरवर्ड ब्लॉक का नेतृत्व किया द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के दौरान अंग्रेजों के युद्ध नीति के विरोध पर सारे कांग्रेस नेताओ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया उस समय सुभाष चंद्र बोस को अपने घर पर गिरफ्तार कर लिया गया।
वह किसी तरह बच निकले और जापान जा पहुंचे , हिटलर से मिले। हिटलर ने उनकी सहायता करने से इंकार कर दिया फिर वह रासबिहारी बसु के साथ मिलकर जंग में पकड़े हुए भारतीयों के साथ मिलकर बनाया आजाद हिंद फौज। जो बाद में अंग्रेज सरकार का डर का कारण बन गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिल्ली चलो का नारा दिया द्वितीय विश्व युद्ध में पराजय के कारण आजाद हिंद फौज कमजोर पड़ गई पूरे भारत मे युवाओं को प्रेरित किया सन् 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन किया और फिर से गांधी जी को गिरफ्तार किया गया
किंतु इस बार स्वतंत्रता का ख्वाब फीका नहीं पड़ा भारतीयों ने जी जान लगा दिया
आए दिन दंगे फसाद आंदोलन आदि होते गए गिरफ्तारियां भी हुई तथा मरने का डर खत्म सा हो चुका था।
30 जनवरी सन 1948 को भारतीय स्वतंत्रता के नेतृत्वकर्ता महात्मा गांधी जी को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई जिससे पूरे देश में मातम सा छा गया
पाकिस्तान की नीव:
स्वाधीनता के समय पास आ गया था पर इस बीच मोहम्मद अली जिन्ना ने एक नये देश की भावना प्रकट की वह एक मुस्लिम राष्ट्र चाहते थे जिसमें एक मुस्लिम राष्ट्र नेतृत्व करता हो। सर्वप्रथम कांग्रेस के नेताओं द्वारा इसके लिए कोई मंशा जाहिर नहीं गई गई इससे हिंदू और मुस्लिम में दरार सी पड़ गई आपस में मिलजुल कर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले भारतीय युवा हिंदू मुस्लिम विभेद के मथ्थे पड़ गए। दंगे फसाद मारपीट लूट होने लगे इसे दूर करने 14 अगस्त सन 1947 को भारत को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया गया मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान दे दिया गया
सब हासिल की।
भारत में आजादी की घोषणा :
15 अगस्त सन 1947 की मध्य रात्रि भारत आजाद हुआ भारत को पूर्णता ब्रिटिश अंग्रेजों से स्वाधीनता प्राप्त हो गई नेतृत्व कर रहे उन सभी शहीदों और भारतीयों में खुशी की लहर उमड पड़ी
आजादी की खुशी के दौरान 2 देशों के विभाजन के कारण भारत और पाकिस्तान के मध्य रहने वाले काफी जनता अस्त व्यस्त हो गई कई लोग घायल हुए कई लोग मारे गए।
आजादी के 70 वर्ष पश्चात भी यह घाव ताजा है आज भी भारत और पाकिस्तान के मध्य दरार सी है अंग्रेज तो चले गए पर हमें आपस में लड़ा गए शायद ऐसी आजादी की मांग खुदीराम बोस, सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह, राजगुरु ने नहीं की होगी। स्वतंत्रता के लिए खून बहाए, अपने प्राण त्यागे, वे अपने देशवासियों के लिए लड़े थे, ना की किसी धर्म विशेष के लिए।
उनके बलिदान को छोटा ना करें इसे सबके साथ शेयर करें ताकि सबको भारत की आजादी की कहानी पता चले और वह अपने देश के मर्यादा को समझें।
जय हिंद जय भारत🇮🇳
74th independence day ceremony
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Independence day of India, History of independence of India. स्वतंत्रता प्राप्ति के पीछे का इतिहास जाने
Reviewed by Devendra Soni
on
अगस्त 16, 2020
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