शून्य काल क्या होता है, प्रश्न काल क्या होता है? प्रश्न काल में प्रश्न कितने प्रकार के होते है? जानने के लिए पूरा पढ़िए,

संसद के मानसून सत्र से प्रश्‍न काल हटा दिया गया, आज हम जानेंगे की प्रश्न काल में प्रश्‍न कितने तरह के होते हैं? प्रश्न काल कि शुरुआत कैसे हुई? शून्यकाल क्या है? शून्यकाल और प्रश्नकाल का संसद में महत्व। पूरा जानने के लिए पढ़ते रहिए,


प्रश्‍नकाल (Question Hour) क्‍या होता है?


हमने संसद केेे प्रश्नकाल और शून्यकाल के बारेेेेे में बहुत सुना है किंतुुुुुु यह जानकर हैरानी होगी कि यह संसदीय प्रक्रिया नियमों में उल्लिखित नहीं है। लोकसभा की बैठक का पहला घंटा सवाल पूछने के लिए होता है. इसे ही प्रश्नकाल का नाम दियाा गया हैं, इस अवधि के दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्न पूछे जाते हैं। मंत्री सामान्यत: इन प्रश्नों का उत्तर देते हैं।


प्रश्नकाल में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार:

ऊपर हमने प्रश्नकाल के बारे में जाना अब हम जानेंगे कि प्रश्नकाल कितने प्रकार के होते हैं,

प्रश्नकाल (Question Hour) के दौरान पूछे गए प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं,

1) तारांकित प्रश्न (Starred question)
2) अतारांकित प्रश्न (Unstarred question)
3) अल्प सूचना प्रश्न (Short notice question)


तारांकित प्रश्न

प्रश्नकाल में पूछे गए प्रश्नों में तारांकित प्रश्न होते हैं, तारांकित प्रश्न वह होता है जिसका सदस्य सदन में मौखिक उत्तर चाहता है और जिस पर तारांक लगा होता है, इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति होती है।


अतारांकित प्रश्न


अतारांकित प्रश्न वह होता है जिसका सदस्य सदन में मौखिक उत्तर नहीं चाहता है, इसमें पूरक प्रश्‍न नहीं पूछे जा सकते हैं। इसका जवाब सांसदों द्वारा लिखित में दिया जाता है।


अल्प सूचना प्रश्न


तारांकित अथवा अतारांकित प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए सदस्य को 10 दिन पूर्व सूचना देनी पड़ती है, लेकिन अल्प सूचना प्रश्न इससे कम समय की सूचना पर भी पूछा जा सकता है.


प्रश्नकाल की शुरुआत कैसे हुई?

संसद मैं सांसदों से पूछे जाने वाले प्रश्न की शुरुआत 17वीं और 18वीं सदी से ही चलता आ रह है, भारत ने यह पद्धति इंग्लैंड से ग्रहण की है जहाँ सबसे पहले 1721 में इसकी शुरुआत हुई थी, भारत में संसदीय प्रश्न पूछने की शुरुआत 1892 के भारतीय परिषद् अधिनियम के तहत हुई.

आज़ादी से पूर्व भारत में प्रश्न पूछने के अधिकार पर कई प्रतिबंध लगे हुए थे. लेकिन आज़ादी के पश्चात् उन प्रतिबंधों का खत्म कर दिया गया, अब संसद सदस्य लोक महत्व के किसी ऐसे विषय पर जानकारी प्राप्त करने के लिए सवाल पूछ सकते हैं जो मंत्री के विशेष संज्ञान में हो।


क्या होता है,शून्यकाल:

प्रश्नकाल की पूरी जानकारी के बाद हम अब हमें यह जानना होगा कि शून्य काल क्या होता है तो चलिए जानते हैं सुनने काल के बारे में,

संसदीय प्रक्रिया नियमों में प्रश्नकाल के समान ‘शून्यकाल’ भी उल्लिखित नहीं है।यह संसदीय कार्यप्रणाली का अनौपचारिक साधन है, संसद सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी मामले को उठा सकते हैं। शून्यकाल का समय प्रश्नकाल के तुरंत बाद अर्थात दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक होता होता है।


प्रश्नकाल और शून्यकाल का महत्त्व:


संसद में प्रश्नकाल और शून्यकाल के महत्व इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि इससे सांसदों के द्वारा उनके विचारों तथा अन्य कई जानकारियां प्राप्त होती हैं जिसे संसद के सदस्यों ने एकरूपता बनी होती रहती है,


पिछले 70 वर्षों में सांसदों ने सरकारी कामकाज पर प्रकाश डालने के लिये इन संसदीय साधनों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। सांसदों द्वारा इन साधनों का प्रयोग करके सरकार की अनेक वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है।

प्रश्नकाल और शून्यकाल में क्या अंतर है?

प्रश्नकाल और सुनने काल के बारे में पूरी जानकारी जाने के पश्चात अब यह सवाल उठता है कि प्रश्नकाल और शून्यकाल में क्या अंतर है तो सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि शून्य काल को प्रश्नकाल के पश्चात होता है।

प्रश्नकाल में पूछे जाने वाले प्रश्न को सांसद के सदस्यों द्वारा पहले ही प्रोवाइड करवा दिया जाता है किंतु शून्य काल में पूछे जाने वाले प्रश्नों को स्वतंत्रता पूर्वक कभी भी उठाया जा सकता है।


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शून्य काल क्या होता है, प्रश्न काल क्या होता है? प्रश्न काल में प्रश्न कितने प्रकार के होते है? जानने के लिए पूरा पढ़िए, शून्य काल क्या होता है, प्रश्न काल क्या होता है? प्रश्न काल में प्रश्न कितने प्रकार के होते है? जानने के लिए पूरा पढ़िए, Reviewed by Devendra Soni on सितंबर 26, 2020 Rating: 5

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