कृषि विधेयक 2020 क्या है, इसे लेकर राज्यसभा में मचा हंगामा, कौन से संसद हुए निलंबित? पूरी जानकारी आगे जाने,
राज्यसभा के सभापति ने 21 सितंबर 2020 राज्यसभा में कृषि विधेयक को लेकर हंगामा सा मच गया। कुछ सांसदों ने तो उपसभापति हरिवंश नारायण पर गुस्सा फुका जिसे लेकर राज्यसभा के सभापति देश के उपराष्ट्रपति वैंकय नायडू ने 8 सांसदो को निलंबित कर दिया।इस निलंबन की अवधि 1 हफ्ता चुना गया।
किन सांसदों को निलंबित किया गया :
आयिए जाने किन सांसदो को संसद से 1 सप्ताह के लिए निलंबित किया गया,
पार्टी और सांसद-
*तृणमूल कांग्रेस : डेरेक ओ’ब्रायन, डोला सेन,
*कांग्रेस : राजीव सातव, रिपुन बोरा, सैयद नजीर हुसैन,
*माकपा : केके रागेश, ई करीम,
*आप : संजय सिंह।
यह फैसला किसने लिया-
राज्यसभा में हुए इस कृृत्य् को देखते हुए देश केे उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा सभापति वैंकैय नायडू ने सांसदो को उनके कृत्य के सजा के तौर पर उन्हें सभा से एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया ,वे सभा म एक सप्ताह तक शामिल ही नहीं हो पाएंगे। नायडु ने कहा कि सांसदों के द्वारा राज्यसभा में हुआ, उसे अच्छा नहीं कहा जा सकता।
क्या है, ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ ?
किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ जिसे Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020 कहा जाता है,जिसे राज्यसभा में पूर्ण बहुमत से पास किया गया जिसमें किसान मंडी से बाहर फ़सल बेच सकेंगे, राज्यों को मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने पर रोक होगी और साथ है साथ राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कृषि व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह विधेयक राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीदी पर लगने वाले कर से रोकता है और किसानों को उनके लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने की स्वतंत्रता भी देता है।
क्या था मामला ?
किसान बिलों के विरोध में 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा में हंगामा हुआ था।उपसभापति सभापति हरिवशं नारायण द्वारा सदन का समय बढ़ने को लेकर पहले हंगामा शुरू हुआ।
इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का जवाब पूरा होने के बाद जब बिल पास करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो विपक्षी सांसद वोटिंग की मांग करने लगे।उपसभापति वोटिंग को तैयार नहीं हुए तो सांसद वेल में आकर हंगामा करने लगे।
आरोप है कि तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सदन की रूलबुक फाड़ दी। कुछ सांसदों ने उपसभापति की माइक तोड़ने की कोशिश की जो की एक घिनौना कृत्य है। इसी की वजह से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने 8 सांसदों को सजा के तौर पर एक सप्ताह के लिए सस्पेंड कर दिया।
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उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग हुई खारिज-
विपक्षी दलों ने उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।आरोप यह था कि डिप्टी चेयरमैन ने सांसदों की मांग के बावजूद वोटिंग की अनुमति नहीं दी और ध्वनि मत से बिल पास कर दिया। वेंकैया नायडु ने इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
अगर उपसभापति हरिवंश नारायण के ख़िलाफ़ विपक्षी सांसदों की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव, मंज़ूर कर लिया गया होता तो वे प्रस्ताव के लंबित रहने तक सदन की अध्यक्षता नहीं कर पाते।
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क्या है,ध्वनि मत की प्रक्रिया:
राज्यसभा के कामकाज से जुड़े रूल 252 से 254 तक में ‘डिविज़न ‘ के चार अलग-अलग तरीक़ों का प्रावधान है,
पहला तरीक़ा है ध्वनि मत,
दूसरा है काउंटिंग,
तीसरा है ऑटोमैटिक वोट रिकॉर्डर के ज़रिए मत विभाजन और
चौथा तरीक़ा है लॉबी में जाकर पक्ष या विपक्ष में खड़े होना।
दो प्रक्रियाओं में सांसदों के मत दर्ज नहीं किए जाते हैं जबकि बाक़ी दो तरीक़ों में किस सांसद ने क्या वोट दिया, ये राज्यसभा के रिकॉर्ड में स्थाई रूप से दर्ज किया जाता है, काउंटिंग के ज़रिए मत विभाजन का फ़ैसला पूरी तरह से सभापति के विवेक और बुध्दिमता पर निर्भर करता है।
रूल नंंबर 253 और रूल नंबर 254 के अनुसार राज्यसभा का सभापति चाहें तो वह ऑटोमैटिक वोट रिकॉर्डर या फिर सांसदों को लॉबी में खड़ा करके उनके वोट रिकॉर्ड कर सकते हैं, सदन के कामकाज से जुड़े नियमों में इस बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है कि किस मुद्दे पर मत विभाजन कराया जाएगा और किस पर नहीं।
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Reviewed by Devendra Soni
on
अक्टूबर 01, 2020
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