Nokia को Moon पर 4G network लगाने का काम सौपा गया,क्या अब अंतरिक्ष से नेटवर्क आएगा? जानने के लिए पूरा लेख पढ़िए

आए दिन हमें फोन पर सिग्नल नहीं मिलने की वजह से परेशान होते रहते हैं। शहरों में नेटवर्क दिक्कत इसलिए भी होती है क्योंकि वहां उस नेटवर्क को यूज करने वाले लोगों का ट्रैफिक इतना अधिक होता है कि हमें स्पीड इंटरनेट में ही नहीं मिल पाता और ग्राम एरियाज में तो नेटवर्क यूजर बहुत कम ही होते हैं और वह शहरों से काफी दूर होते हैं जिसकी वजह से वहा नेटवर्क पहुंच ही नहीं पाता क्योंकि जहां पर नेटवर्क ऑपरेटर की कमी होती है वहां नेटवर्क कंपनीज अपनी सिगनल टावर को लगाते ही नहीं क्योंकि वहां से उन्हें उतना प्रॉफिट हो ही नहीं पाता। तो यह सवाल उठता है कि क्या हम अंतरिक्ष में नेटवर्क लगा सकते हैं ? या बिना नेटवर्क टावर लगाए ही हमें सिग्नल प्राप्त हो सकता है?




जिस प्रकार से हम रेडियो से या किसी फोन से बातचीत कर पाते हैं। जो कि एयर में बीछे नेटवर्क जाल की वजह से  होता है उसी प्रकार क्या चंद्रमा पर नेटवर्क लगाकर धरती पर नेटवर्क ला पाना संभव है? चंद्रमा में जहां पर कोई भी व्यक्ति निवासी नहीं करता वहां पर नेटवर्क लगाया जा सकता है? जी हां, यह आज संभव है क्योंकि हालिया खबर के अनुसार नोकिया कंपनी ने चंद्रमा पर 4G नेटवर्क बनाने का काम शुरू ही कर दिया है। आज हम जानेंगे कि नोकिया कंपनी द्वारा 4G नेटवर्क लगाने के अलावा और क्या क्या प्रयास किए जा रहे हैं और यह हमें कब तक लाभ पहुंचा सकेगा तो इन सारी जानकारियों को पाने इस लेख को पूरा पढ़िए,


किस अंतरिक्ष एजेंसी ने सौंपा  चंद्रमा पर 4G नेटवर्क बनाने का काम नोकिया को :-

नासा NASA (नेशनल एयरोनोटिक एंड सपेस एडमिनिस्ट्रेशन) जो की अमेरिका की एक अंतरिक्ष कंपनी है,जिसने नोकिया कंपनी को अंतरिक्ष में अर्थात चंद्रमा में 4G नेटवर्क बनाने का काम सौंपा है। दरअसल नासा का उद्देश्य 2024 तक इंसानों को फिर से चंद्रमा पर ले जाने का है।


नासा का चंद्रमा पर मानव मिशन:-


नासा द्वारा मानव मिशन हेतु वह प्रोजेक्‍ट ‘आर्टेमिस’ (Artemis) पर अपना काम कर रहा है। कोशिश यह है कि जिस तरह से इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन में अंतरिक्ष यात्री लंबे समय के लिए रहते हैं, इसी तरह से चांद पर लंबे समय तक मनुष्‍य रह सके।ताकि चंद्रमा पर खुदाई का काम हो और रिसर्च का कार्य भी हो सके।

यह भी प्‍लान है कि मंगल ग्रह सहित अन्‍य ग्रह पर भी रिसर्च हेतु मिशन भेजने का काम चांद से किया जाए। ताकि इससे बहुत सारी लागत और समय की बचत हो सके। इसके लिए चूकि ज्‍यादा लोग चांद पर रहेंगे, तो सेलुलर नेटवर्क की भी जरूरत होगी।


मुश्किल हालात में भी करेगा काम :-


चंद्रमा पर नेटवर्क को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि वह चांद पर लॉन्चिंग और लैंडिंग की विषम परिस्थितियों का सामना करने में भी सक्षम हो सके। 5G नेटवर्क की बजाए 4G/LTE का उपयोग करेंगे जिसकेे लिए नोकिया को 103 करोड़ रुपए दिए गए हैं। हालांकि यह नेटवर्क 5G पर अपग्रेडेबल होगा। नासा ने अपने कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड अनाउंसमेंट में बताया कि यह सिस्टम चंद्रमा की सतह पर लंबी दूरी के कम्युनिकेशन को सपोर्ट कर सकता है।

 


NOKIA और वोडाफोन पूर्व में भी कर चुकी है प्रयास:-



नोकिया ने 2018 में भी जर्मन स्पेस कंपनी PTScientists और वोडाफोन यूके के साथ अपोलो 17 लैंडिंग की साइट पर एक LTE नेटवर्क लॉन्च करने की योजना बनाई थी। लेकिन मिशन कभी पूूरा ही नहीं हो पाया।


चांद पर सेलुलर नेटवर्क के लिए नोकिया का सेलेक्‍शन



नोकिया ने हालिया जानकारी बताते हुए कहा कि अंतरिक्ष में पहला वायरलेस ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशन सिस्टम 2022 के अंत में चंद्रमा की सतह पर बनाया जाएगा। इस हेतु नोकिया कंपनी, ‘टेक्सास बेस्ड प्राइवेट स्पेस क्राफ्ट डिजाइन’ कंपनी के साथ साझेदारी की है, यह कंपनी जरूरी इक्‍यूपमेंट्स को चांद तक पहुंचाएगी। इसके बाद नोकिया चंद्रमा पर 4G/LTE कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित करेगा। नोकिया का कहना है कि चांद पर सेलुलर नेटवर्क, अंतरिक्ष यात्रियों को आवाज और वीडियो कम्युनिकेशन की सुविधाएं देगा। साथ ही टेलीमेट्री और बायोमेट्रिक डेटा एक्सचेंज और रोवर्स और अन्य रोबोटिक डिवाइसेस को तैनात और रिमोटली कंट्रोल की भी अनुमति देगा।

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Nokia को Moon पर 4G network लगाने का काम सौपा गया,क्या अब अंतरिक्ष से नेटवर्क आएगा? जानने के लिए पूरा लेख पढ़िए Nokia को Moon पर 4G network लगाने का काम सौपा गया,क्या अब अंतरिक्ष से नेटवर्क आएगा? जानने के लिए पूरा लेख पढ़िए Reviewed by Devendra Soni on अक्तूबर 22, 2020 Rating: 5

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