NASA द्वारा भेजा गया Mars पर पहला हेलीकॉप्टर : Ingenuity
भारत के पड़ोसी ग्रह मंगल पर पहुंच के लिए विश्व भर में कई मिशन भेजे जा चुके हैं इस मिशन का उद्देश्य मंगल पर जीवन को खोजना है। आइए जानते है हाल ही में NASA द्वारा भेजा गया mars mission के बारे में।
NASA mars mission 2020 :
मंगल पर इसके पूर्व चार रोवर भेजे जा चुके हैं और यह अमेरिका द्वारा भेजे जाने वाला पांचवा रोवर होगा । नासा द्वारा बनाए गए रोवर Perseverance को 30 जुलाई 2020 को भेजा गया । रोवर के साथ एक हेलीकॉप्टर भी भेजा गया है, जिसका नाम है: Inginuity. जिसका नामकरण भारतीय मूल की अमेरिकी वाणिजा रूपानी ने रखा है, नासा द्वारा मार्स मिशन के रोवर का नाम पूरे विश्व भर में लोगों से मांगा गया था जिसका चयन कर इसका नामकरण कियाा गया।
जुलाई में भेजे जाने वाले मंगल मिशन :
1) UAE संयुक्त अरब अमीरात से HOPE mission
2) चीन से tianven-1
रोवर पर्सीवरेंस को Atlus 5 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया है, जो कि मंगल पर 18 फरवरी 2021 को पहुंचेगा,यह रोवर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर पर उतरेगा। क्रेटर का अर्थ है गड्ढा । यह करीब 3.5 अरब साल पहले अस्तित्व में आया था जो कि एक झील का स्थल है जिसमे अरबों साल पहले नदियां बहा करती थी, जब भी कोई एस्ट्रॉयड (उल्कापिंड) मंगल ग्रह पर टकराता है तब वहां ऐसे क्रेटर या गड्ढे निर्मित हो जाते हैं। मंगल ग्रह पर एसे कई सारे गड्ढे मौजूद हैं इन गड्ढों में कई सालों बाद पानी भर जाता था और यह झील का रूप ले लेते थे। जेजेरो क्रेटर में पानी के आने और जाने दोनों का चैनल है जो कि एक डेल्टा की तरह कार्य करता है। डेल्टा तभी बनते हैं जब पानी का बहुत ज्यादा बहाव होता है । उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन का डेल्टा जो कि गंगा नदी के पानी के तेज बहाव के कारण डेल्टा का रूप ले लेता है। मंगल पर संभावना है कि वहां कोई जलीय बैक्टीरिया पनपा हो उसी बैक्टीरिया के सबूत ढूंढे जाएंगे अर्थात बैक्टीरिया जो जीवित हो या मरा हो उसके सबूत या निशान ढूंढे जाएंगे।
Perseverance का अर्थ - दृढ़ता
रोवर का कार्य :
यह रोवर मंगल ग्रह पर प्राचीन समय के ancient Life को खोजने के लिए भेजा गया है, मंगल पर प्राचीन काल का जीवन या समय क्या रहा है उसे खोजा जाएगा । सबसे बड़ा सवाल है कि क्या मंगल ग्रह पर प्राचीन काल में जीवन था?
रोवर मार्स पर कैसे उतरेगा :
यह रोवर मंगल ग्रह पर 18 फरवरी 2021 को लैंड करेगा जिसकी लैंडिंग बहुत चुनौतीपूर्ण होगी। जिस प्रकार हमने देखा भारत द्वारा भेजा गया chandrayaan-2 चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने में विफल रहा उसी प्रकार नासा द्वारा भेजा गया यह रोवर की लैंडिंग भी काफी कठिनाई भरी होगी। पर्सीवरेंस की लैंडिंग के वक्त स्काई क्रेन की मदद ली जाएगी जो कि पैराशूट के समान होता है, यह मंगल की सतह से ठीक आने से पहले ही खुल जाएगा। तथा स्काई क्रेन की सहायता से लटक जाएगा। यह मंगल ग्रह की सतह पर लैंड होते ही स्काई क्रेन से अलग हो जाएगा और रोवर सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करने की कोशिश करेगा ।ईस हेलीकॉप्टर के अंदर ही रोवर पर्सीवरेंस मौजूद रहेगा जोकि मंगल की सतह पर हेलीकॉप्टर को छोड़ आगे बढ़ जाएगा । इसके पश्चात रोवर में स्थित कैमरा हेलीकॉप्टर इंजीनिटी की फ्लाइट देखेगा, यदि फ्लाइट सफल रही तो यह काफी अच्छी बात होगी ।सवाल ये उठता है कि
मंगल पर हेलीकॉप्टर की क्या जरूरत ?आखिर क्या करेगा हेलीकॉप्टर?
यह फ्लाइट एक्सपेरिमेंट की तरह है यह सिर्फ यह देखने के लिए लगाया गया है कि वहां हेलीकॉप्टर उड़ सकता है या नहीं । जैसा कि हमारे पृथ्वी में वायुमंडल का घनत्व काफी अधिक है किंतु मंगल पर वायुमंडल का घनत्व काफी कम है, अर्थात वायु का दबाव अधिक नहीं मिलेगा जिसकी वजह से वहां हेलीकॉप्टर को उड़ाने में काफी कठिनाई आने वाली है। अर्थात हेलीकॉप्टर को उड़ाने में काफी ज्यादा ताकत की आवश्यकता होगी। पृथ्वी में हेलीकॉप्टर को उड़ा पाना काफी आसान है क्योंकि यहां हवा का घनत्व काफी अधिक है किंतु मंगल पर ऐसा नहीं है । यह हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह के वातावरण की स्थिति को देखेगा इसका फायदा यह होगा कि इसकी वजह से फील्ड ऑफ व्यू का क्षेत्र बढ़ जाएगा और अधिक दूरी तक देखा जा सकेगा । इस हेलीकॉप्टर की लाइफ मात्र 30 दिन है किंतु यदि सब कुछ सही रहा तो इससे अधिक दिनों तक इसके उड़ने की संभावना है। यह सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर 1 दिन में लगभग 3 मिनट का सफर करेगा जिसमें वह लगभग 1.8 किलोमीटर का रेंज कवर करेगा । इस हेलीकॉप्टर को भेजने का महत्वपूर्ण मिशन यह है कि जब आने वाले समय में मार्च पर वैज्ञानिक जाएंगे तो उनके लिए कैसा हेलीकॉप्टर तैयार किया जाए, जिससे वह मंगल ग्रह के फील्ड को अच्छी तरह समझ सके।
रोवर ने मौजूद उपकरण :
पर्सीवरेंस रोवर्स में कई प्रकार के उपकरण लगे हुए हैं जैसे रिमफैक्स, सुपरकेम, मेडा, शेरलॉक, मॉक्सी।
पूर्ण तौर पर USA का है किंतु इसमें डेनमार्क फ्रांस जैसे देशों के भी कई सारे उपकरण लगाए गए हैं, उदाहरण के तौर पर फ्रांस का सुपर कैमरा ,स्पेन का विंग सेंसर, डेनमार्क का एंटीना है।
खास बात यह है कि इस रोवर में एक माइक्रोफोन भी लगाया गया है, जिसकी सहायता से हम मंगल पर होने वाली आवाज को भी सुन सकेंगे क्योंकि आज तक इससे पहले चंद्रमा या मंगल के रोवर पर माइक्रोफोन नहीं लगाए गए थे इसलिए वहां मौजूद आवाज को सुना नहीं गया है जो कि इस मिशन के सफलतापूर्वक लैंडिंग के पश्चात सफल हो पाएगा।
यदि यह रोवर मंगल पर उतरने में सफल रहा तो तो विश्व भर में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
मिशन को भेजने के प्रमुख उद्देश्य :
मंगल पर मंगल मिशन भेजने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है:-
1) मंगल पर निवास किया जा सकता है अथवा नहीं
मंगल पर मौजूद चट्टानों में बैक्टीरिया अथवा अन्य जीवो के अंश का ज्ञान।
2) मंगल की सतह पर सैंपल एकत्र करना रोवर में ड्रिल मेकैनिज्म का उपयोग किया जा रहा है जिसकी सहायता से चट्टानों में ड्रिल करके वहां की मिट्टी को सैंपल के रूप में लाया जाएगा।
3) मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन की खोज क्योंकि मंगल ग्रह पर जाने वाले वैज्ञानिकों को पृथ्वी से ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है जो कि एक सीमित मात्रा में ही होती है तो वहां मंगल ग्रह में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन के तौर पर उपयोग किया जा सकता है या नहीं इसका पता लगाया जाएगा जिसके लिए MOXIE बनाई गई है।
4) मंगल के में मौजूद वातावरण में 98.6 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड है और ऑक्सीजन महज 0.1% ही मौजूद है। इस एक्सपेरिमेंट के तहत वहां मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में तब्दील करने की परीक्षण किया जा सकता है जिस प्रकार पृथ्वी में पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को परिवर्तित कर ऑक्सीजन में तब्दील किया जाता है। ठीक उसी प्रकार मंगल ग्रह पर कृत्रिम तौर पर किया जा सकेगा ताकि भविष्य में जब कोई मंगल मिशन हो तो वहां जाने वाले वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह से ही ऑक्सीजन मिल पाए।
मिशन की लागत : 2.4 बिलियन डॉलर या 18000 करोड़ रूपीस
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है USA और भारत में बनने वाले मार्स मिशन में लागत में काफी अंतर है भारत द्वारा भेजा गया मंगल आर्बिटर 500 करोड़ रूपीस का था जो कि मंगल ग्रह पर अभी भी चक्कर काट रहा है और हाल ही में उसने मंगल पर मंगल ग्रह की तस्वीर भी भेजी है।
अधिक जानकारी के लिए इस वीडियो को देखें:
NASA द्वारा भेजा गया Mars पर पहला हेलीकॉप्टर : Ingenuity
Reviewed by Devendra Soni
on
अगस्त 02, 2020
Rating:
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अगस्त 02, 2020
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