SCO ( Shanghai cooperation organisation) को लेकर मझधार में फसा भारत, आयिए जाने क्या है पूरा मुद्दा?
SCO summit को लेकर मझधार में फंसा भारत। SCO समिति के मीटिंग में जाने को लेकर भारत असमंजस में पड़ गया है, आइए जानते हैं इसकी वजह। क्या है SCO? क्यो नही शामिल होना चाहता sco summit में भारत ?
क्या है, SCO (Shanghai cooperation organisation) :
SCO का पूर्ण रूप शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन है ।इसका निर्माण 15 जून 2001 को हुआ था, इसे पहलेेेेेेे इसे Shanghai 5 के नाम से जाना जाता था जिसका निर्माण 1996 में हुआ था ।2001 में उज्बेकिस्तान के जुड़ने के पश्चात केे पश्चात इसका नाम शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेेेशन कर दिया गया।
शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन में मुख्य दो भाषाएं शामिल है पहला रसिया और दूसरा चीनी भाषा। इसमें कुल 8 सदस्य देश हैं, जिसमें चीन किर्गिस्तान तजाकिस्तान रूस उजबेकिस्तान कजाकिस्तान इंडिया और पाकिस्तान शामिल है।
शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन का उद्देश्य यूरेशियन अर्थात यूरोप और एशिया के देशों के राजनीतिक, अर्थशास्त्रीय, रक्षा एलाइंस इत्यादि क्षेत्रों के उत्थान के लिए किया गया है। इन सब पर चीन अपना अधिकार जताता है, तथा वह सुपर पावर बनना चाहता है। विश्व के टॉप 5 देशों में चीन शामिल है अमेरिका, रूस, फ्रांस इत्यादि देशों को पछाड़कर वह सुपर पावर बनना चाहता है।इसी को लेकर वह SCO में अपना दबाव जमता है ताकि सारे देश चीन पर निर्भर रह सके।
चीन का वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव (one belt one road initiative-BRI) क्या है ? :
चीन द्वारा चलाए गए वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव प्रोजेक्ट में जितने देश आते हैं, उन देशों के बंदरगाहो पर रेशम मार्ग बनाए जाते हैं। रेशम मार्ग से तात्पर्य ऐसे मार्ग से है जिसके माध्यम से वस्तुओं का आदान-प्रदान एक देशों से दूसरे देशों तक सीधे और सरल मार्गो द्वारा किया जा सके।
इस प्रोजेक्ट के तहत देशों को चीन से कर्ज लेना पड़ता है क्योंकि SCO में चीन का दबदबा है, अतः चीन द्वारा कर्ज लेकर अन्य देश बी. आर. आई. (BRI) के सदस्य बन जाते हैं और उन्हें रेशम मार्ग बनाना पड़ता है, जिससे वह सदैव चीन के कर्ज में दब जाते हैं कर्ज होने के कारण वह चीन के ऊपर कोई आवाज नहीं उठा सकते अर्थात चीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है, भारत इस बी आर आई का हिस्सा नहीं बनना चाहता क्योंकि यह रेशम मार्ग POK से होकर जाता है और पाक चीन से संबंध अच्छे ना होने की वजह से वह इसके लिए पीछे हट गया है।
RIC (रूस इंडिया चाइना) समिट 2020 में भारत की भूमिका:
आरएसी समीट रूस, चीन और इंडिया के मध्य संबंधों और कई प्रकार के समझौतों को लेकर बनी एक समिति है, जिसमें 2020 की बैठक रूस द्वारा संपन्न कराई गई जिसमें भारत हिस्सा बना। भारत ने आरएसी समिट में चीन को फटकार लगाई। क्युकी वर्तमान समय में चीन द्वारा भारत पर कई सारे हमले हुए जिससे हमारे कई सैनिक घायल हुए और कई शहीद हुए, जिसे लेकर भारत और चीन के मध्य विवाद काफी बढ़ गया है,RIC summit में भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गए हुए थे जिसमें उन्होंने चीन से कहा कि सर्वप्रथम चीन भारत के बॉर्डर से पीछे हटे ।तभी किसी प्रकार के समझौते के लिए भारत तैयार होगा।
क्यों नहीं जाना चाहता भारत SCO समिट में:
2020 में s.c.o. सम्मिट सितंबर माह में रूस की राजधानी मॉस्को में संपन्न होनी है,वर्तमान समय में चीन द्वारा भारत पर कई सारे हमले हुए जिससे हमारे कई सैनिक घायल हुए और कई शहीद हुए, जिसे लेकर भारत और चीन के मध्य विवाद काफी बढ़ गया है, चीन भारत के रिश्तो में खराबी आने की वजह से इस समिट में भारत हिस्सा नहीं लेना चाहता। भारत चीन के मध्य युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं
इसी वजह से भारत द्वारा रूस से कई प्रकार के लड़ाकू विमानों को तथा रक्षा के लिए उपकरणों को खरीद रहा है। भारत-चीन से अब किसी प्रकार का समझौता नहीं चाहता।
रूस क्यों चाहता है कि भारत-चीन के मध्य संबंध अच्छे हो :
रूस रक्षा तथा पेट्रोलियम पर निर्भर है और वर्तमान समय में पेट्रोलियम की मांग इतनी गिर गई है कि पेट्रोल पर निर्भर देश कर्ज में डूब गए हैं, अमेरिका रूस के संबंध अच्छे नहीं है तथा अन्य से सम्बन्ध खराब हो और युद्ध हो तो रूस के पास इतना पैसा नहीं है कि जिससे वह अन्य देशों से कुछ खरीद पाए क्योंकि अमेरिका, इजराइल जैसे देश दिन प्रतिदिन रक्षा के मामले में और ऊपर बढ़ते ही जा रहे हैं। अमेरिका, चीन और रूस दोनों के विरोध में रहता है,युद्ध की स्थिति में रूस का साथ केवल पड़ोसी देश चीन ही दे सकता है इसीलिए रूस असमंजस में है तथा चीन और भारत दोनों के मध्य सुलह करवाना चाहता है
इसलिए रूस असमंजस में है क्योंकि भारत, अमेरिका और रूस दोनों के तरफ है। रूस और भारत के संबंध अच्छे तो हैं, किंतु भारत अमेरिका और रूस दोनों का साथ देता है अतः sco समिट में रूस चाहता है कि वह भारत को समझाएं और चीन, रूस और इंडिया के मध्य रिश्ते सही कर पाए, परंतु भारत इसका हिस्सा ही नहीं बनना चाहता ।
क्योंकि भारत, अमेरिका रूस दोनों के तरफ है तो रूस को इससे कोई खास फायदा नहीं पड़ता इसलिए वह चीन पर दबाव नहीं बनाना
चाहता।रूस चाहता कि चीन में भारत के मध्य संबंध ठीक हो और वह आपस में मिलकर बातचीत करें।
क्या है, ब्रिक्स (BRICS) समूह :
Brics, 5 देशों का समूह है जिसका निर्माण 2009 में भारत, रूस, इंडिया और चाइना ने मिलकर किया था। 2010 में साउथ अफ्रीका के शामिल हो जाने पश्चात इसका पूर्ण नाम brics हो गया। ब्रिक्स देशों की जनसंख्या विश्व भर के जनसंख्या की 40% है तथा विश्व के GDP का 25% हिस्सा संजोए है।
ब्रिक्स देशों की मीटिंग 2019 में ब्राजील में संपन्न हुई तथा 2020 में इसका मौका रूस को मिला। रूस चाहता है कि BRICS और SCO की मीटिंग दोनों एक साथ संपन्न हो सके। जिसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर हिस्सा लेंगे किंतु इसमें हिस्सा लेने से भारत चीन के सामने झुकने झुकने जैसा हो जाएगा क्योंकि ब्रिक्स देशों में भारत को काफी ऊंचा माना जाता है, अतः भारत द्वारा यह निर्णय लिया गया कि भारत s.c.o. मीटिंग का हिस्सा नहीं होगा।
ब्रिक्स देशों के समूह का बैंक एनडीबी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए क्यों है महत्वपूर्ण :
ब्रिक्स देशों के पांच सदस्यों द्वारा मिलकर एक बैंक का निर्माण किया गया है। जिसका मुख्यालय शंघाई, चीन में स्थित है। इस बैंक में ब्रिक्स देशों का पैसा लगा हुआ है अतः इन सब का इस का समान प्रभाव पड़ता है वर्तमान इसी को देखते हुए कोरोना के जाने पश्चात सारे देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा सी गई है, इन सारे देशों को सहायता की जरूरत है जिसकी पूर्ति एनडीबी द्वारा ही की जाएगी । आने वाले समय में सभी देशों की उम्मीद एनडीबी की ओर रहेगी इसीलिए यदि ब्रिक्स देशों द्वारा हमारी संबंध अच्छे रहें तो हमें अधिक सहायता
मिलने की आशंका है जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को सही ढंग किया जा सकता है।
क्यों नाराज है, QUAD group :
इस ग्रुप में America, Australia, Japan सहित india शामिल है। इन देशों का एक उद्देश्य है,चीन को सुपरपावर बनने से रोकना, क्युकी इस समय कई सारे देश, साथ ही भारत भी चीन पर कई तरह से डिपेंड है। Sco, ric ,brics आदि में भारत शामिल है जिसकी वजह से quad group भी असमंजस में है कि कहीं भारत, chin-russia की ओर झुक ना जाए।
वही एक और चीन भारत सीमा विवाद में चीन फिंगर फोर से पीछे नहीं हट रहा और उत्तराखंड की ओर आगे बढ़ रहा है यदि ऐसा ही रहा तो युद्ध होने की संभावना है इसीलिए भारत रक्षा क्षेत्रो के लिए कई विमानों और रक्षा हथियारों को खरीद रहा है। युद्ध से नेगेटिव प्वाइंट तो बहुत है किंतु इसके पॉजिटिव प्वाइंट को समझें तो इस बहाने भारत आने वाले 50 सालों में होने वाली सैन्य वृद्धि को कुछ सालों में ही प्राप्त कर पाएगा।
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SCO ( Shanghai cooperation organisation) को लेकर मझधार में फसा भारत, आयिए जाने क्या है पूरा मुद्दा?
Reviewed by Devendra Soni
on
अगस्त 08, 2020
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