DRDO ने विकसित की स्वदेशी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, स्‍क्रैमजेट क्रूज मिसाइल के बारे में जाने,

भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का सपना पूरा होता दिख रहा है, भारत भी आत्मनिर्भर बनने जो रहा है।स्वदेशी मिसाइल जो किसी युद्ध के वक्त अन्य देशों पर अटैक करने में सक्षम हो।


स्‍क्रैमजेट इंजन का उपयोग करके DRDO ने हाइपरसोनिक टेक्‍नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर वीइकल का परीक्षण किया।

DRDO ने हाइपर सोनिक टेक्‍नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर वीइकल का सफल परीक्षण किया, इसमें स्‍क्रैमजेट इंजन का उपयोग किया गया।



स्‍क्रैमजेट का पूर्ण रूप (Scramjet : supersonic combustion ramjet) है।


DRDO क्या है?


DRDO का पूर्ण रूप (Defence Research and Development Organisation) है, डीआरडीओ रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत केंद्र सरकार की एक संस्था है जिसके द्वारा भारत के रक्षा उपकरणों तथा रक्षा संबंधी परीक्षण किए जाते हैं। डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्‌डी है इसकी स्थापना 1969 में हुई थी।


DRDO ने ट्वीट कर दी जानकारी:


डीआरडीओ ने ट्वीट कर जानकारी दी कि भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी की फ्लाइट को सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है,साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे हैं आत्मनिर्भर अभियान के एक कदम आगे की ओर उत्थान की भी बात कही है। और कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में भी मील का पत्थर साबित होगा


DRDO ने हाइपरसोनिक टेक्‍नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर टेक्‍नोलॉजी वीइकल (HSTDV) का सक्‍सेसफुली टेस्‍ट  किया है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश है जिसने हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।


परीक्षण कहां किया?


इस मिसाइल का परीक्षण ओडीसा के बालासोर में एपीजे अब्‍दुल कलाम टेस्टिंग रेंज (द्वीप) में 7 सितंबर 2020 को किया गया है।

जाने मिसाइल कितने तरह के होते हैं? क्‍या-क्‍या स्‍पीड होती है? हाइपरसोनिक क्‍या होता है? इंडिया के लिए क्‍यों जरूरी है हाइपरसोनिक मिसाइल? स्‍क्रैमजेट इंजन क्‍या है?👉 क्लिक करे

हाइपरसोनिक मिसाइल क्‍या होता है?


भौतिकी में मैक 5 या इससे ज्‍यादा की स्‍पीड को हाइपरसोनिक कहते हैं।इसका अर्थ है कि 6174 किलोमीटर प्रति घंटा या इससे ज्‍यादा की स्‍पीड


वर्तमान में इंडिया ने HSTDV – Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle ने टेस्‍ट के दौरान मैक 6 की स्‍पीड पा ली।मतलब 7408 किलोमीटर प्रति घंटा की स्‍पीड।  जो कि काबिले तारीफ है। भारत द्वारा ऐसा कर पाना तभी संभव हो सका है जब हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इसमें अपनी हर संभव मदद की है।


क्या डीआरडीओ ने नया हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित किया है?


हमारे मन में सवाल उठता है कि क्या भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल बना लिया तो ऐसा नहीं है। लेकिन सबसे इंपॉर्टेंट हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की ओर हमने कदम रखा है। उम्‍मीद है कि इस टेस्‍ट के बाद अगले चार या पांच साल में मेड इन इंडिया हाइपर सोनिक मिसाइल का निर्माण हो जाएगा।



क्यों जरूरी है देश के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल?


किसी देश के रक्षा की दृष्टि से यह बहुत इंपॉर्टेंट है, क्‍योंकि दुनिया में आज के समय, जो अधिकतर देश हैं, जैसे यूएस, चाइना, रशिया, ब्रिटेन, फ्रांस और दुनिया के कई सब देश कोशिश कर रहे हैं कि जल्‍द से जल्‍द ये अपने देश में हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप कर पाए। रूस ने तो हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप कर ली है और उसका नाम ‘अवनगार्ड’ है। 


अमेरिका ने पिछले साल हाइपरसोनिक मिसाईल का परीक्षण किया था।चीन ने भी आधिकारिक तौर पर हाइपरसोनिक टेक्‍नोलॉजी तेयार कर ली है। वह मिसाइल बनाने की ओर हैं। तो वहीं इंडिया ने उसी रेस में एक इंपॉर्टेंट कदम रख दिया है। इस प्रकार भारत हाइपरसोनिक मिसाइल क्‍लब में शामिल हो गया है, जिसने इस तकनीक को टेस्‍ट कर लिया है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश है।


स्‍क्रैमजेट इंजन क्‍या है?


किसी व्हेकिल ध्‍वनि की स्‍पीड से पांच गुना ज्‍यादा तेजी की रफ्तार देने वाला एक इंजन है।अभी मिसाइल नहीं बना है, लेकिन इसे बनाने का एक बड़ी बाधा पार कर ली गई है।

इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ ने ट्वीट करके इसे बड़ा एचीवमेंट बताया है। कहा है कि आत्‍म निर्भर भारत के लिए यह बड़ा स्‍टेप है।


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ओडीसा के आइसलैंड से जैसे ही इसे लांच किया, तो इंडिया उन कंट्री में शामिल हो गया, जिन देशों ने आज के समय हाइपर सोनिक मिसाइल डेवलप कर रहे हैं।


अभी चुनौती क्‍या है- 

DRDO के लिए सबसे बड़ी चुनौती है,मोडिफाई करना। स्‍क्रैमजेट इंजन को इस तरह से मोडिफाई करना होगा, ताकि भविष्य में मिसाइल डेलवप करते हैं, तो यह न्‍यूक्लियर हमले के लिए भी तैयार रहे।


एक दिक्कत यह भी है कि जब यह मिसाइल मार्क 6 की स्‍पीड को पार कर सकेगा, तो यह बहुत ज्‍यादा हीट (गर्मी) उत्‍पन्‍न करेगा।हाल में 7 सितंबर को जो परीक्षण हुआ, उस दौरान स्‍क्रैमजेट इंजन कंबेशन का टेंपरेचर 2500 डिग्री सेल्सियस था। तो इसके ढ़ांचे पर इस हीट से कैसे बचाया जाए, ताकि इसमें रखा बम सुरक्षित रहे।


इसके अलावा डीआरडीओ इस पर भी काम कर रहा है कि हवा का प्रेशर, एयरो डायनेमिक्‍स चैलेंज क्या क्या हो सकते है।

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DRDO ने विकसित की स्वदेशी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, स्‍क्रैमजेट क्रूज मिसाइल के बारे में जाने, DRDO ने विकसित की स्वदेशी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, स्‍क्रैमजेट क्रूज मिसाइल के बारे में जाने, Reviewed by Devendra Soni on सितंबर 11, 2020 Rating: 5

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